Wednesday, December 2, 2009

मैं पीड़ा का राजकुंवर हूं: गोपालदास नीरज


गोपालदास 'नीरज' की इस रचना और फिल्‍म 'ओए लकी ओए' के गाने 'तू राजा की राजदुलारी' में
मुझे बड़ी समानता नज़र आती है । ये गाना रेडियोवाणी पर यहां सुना जा सकता है ।

मैं पीड़ा का राजकुँवर हूँ, तुम शहजादी रूपनगर की
हो भी गया प्रेम हम में तो, बोलो मिलन कहाँ पर होगा..?

मेरा कुर्ता सिला दुखों ने,
बदनामी ने काज निकाले,
तुम जो आँचल ओढ़े उसमें
अम्बर ने खुद जड़े सितारे
मैं केवल पानी ही पानी, तुम केवल मदिरा ही मदिरा
मिट भी गया भेद तन का तो, मन का हवन कहाँ पर होगा

मैं जन्मा इसलिये कि,
थोड़ी उम्र आँसुओं की बढ़ जाए
तुम आई इस हेतु कि मेंहदी
रोज नए कंगन बनवाए,
तुम उदयाचल, मैं अस्ताचल, तुम सुखांतकी, मैं दुखांतकी
मिल भी गए अंक अपने तो रस अवतरण कहाँ पर होगा?

मीलों जहाँ न पता खुशी का,
मै उस आँगन का इकलौता,
तुम उस घर की कली जहाँ
नित होंठ करें गीतों का न्यौता
मेरी उमर अमावस काली और तुम्हारी पूनम गोरी
मिल भी गई राशि अपनी तो बोलो लगन कहाँ पर होगा?

इतना दानी नही समय कि
हर गमले में फूल खिला दे
इतनी भावुक नही जिंदगी
हर खत का उत्तर भिजवा दे
मिलना अपना सरल नहीं पर फिर भी ये सोचा करता हूँ,
जब ना आदमी प्यार करेगा जाने भुवन कहाँ पर होगा..?

हो भी गया प्रेम हम में तो, बोलो मिलन कहाँ पर होगा..

7 comments:

  1. वाकई बेहतरीन गीत है।

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  2. yunus bhai
    shukriya
    is geet ke liye
    maine bina anumati link kiya http://voi-2.blogspot.com/2009/12/blog-post_06.html
    badde koi galatee hui ho bataiye ji

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  3. क्या बात है!
    ये कब चालू हुआ? मुझे पता ही नहीं।
    बधाई स्वीकार करें।

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  4. बढ़िया शुरूआत है.....नये साल की हार्दिक बधाई।

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  5. इस नए वर्ष में नए ब्‍लॉग के साथ आपका हिन्‍दी ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत है .. आशा है आप यहां नियमित लिखते हुए इस दुनिया में अपनी पहचान बनाने में कामयाब होंगे .. आपके और आपके परिवार के लिए नया वर्ष मंगलमय हो !!

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  6. स्वागत बलोग जगत में,नववर्ष की बधाई ।

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