tag:blogger.com,1999:blog-3623350360770682881.post734408441665585102..comments2022-10-21T13:51:42.381+05:30Comments on रेडियोवाणी का दूसरा पन्ना: सरहद से पार आती सदाएं: मेहदी हसन पर ईश मधु तलवारYunus Khanhttp://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-3623350360770682881.post-71540940449264651842012-06-24T09:22:41.303+05:302012-06-24T09:22:41.303+05:30पुरखों की माटी से बिछड़ने का ग़म और मिलने की खुशी ऐस...पुरखों की माटी से बिछड़ने का ग़म और मिलने की खुशी ऐसी ही होती है,तभी तो आज भी कभी मॉरीशस तो कभी सूरीनाम का कोई प्रधानमन्त्री उत्तर प्रदेश या बिहार के किसी गाँव में आता है –अपनी जड़ों को तलाशता।<br />शहर में पैदा हुए और पले-बढ़े हम भी बरसों पहले ,पहली बार, अपने पुरखों के गाँव गये थे; वो भी अपने पिता के स्वर्गवास के बाद - उनकी अन्तिम इच्छानुसार अपने गाँव में अपने बाबा-दादी की स्मृति में एक स्मारक का निर्माण कराने ।<br />भाई ईश मधु तलवार का आलेख पढ़ कर लगा कि जैसे हर पंक्ति मेहदी हसन से ज़्यादा अपने गाँव में हमारे अपने खुद के अनुभवों का शब्दचित्र है ।<br />एक बार फिर अहसास हुआ कि मानवीय संवेदनाएँ देश-काल की परिधि से परे हैं ।<br />इतने सुन्दर आलेख के लिये हृदय से धन्यवाद – ईश मधु तलवार को;<br />और आपको भी..... इसे हम सब तक पहुंचाने के लिये !<br />- "डाक साब"Unknownhttps://www.blogger.com/profile/12119142649792639591noreply@blogger.com