tag:blogger.com,1999:blog-3623350360770682881.post1127126539372420450..comments2022-10-21T13:51:42.381+05:30Comments on रेडियोवाणी का दूसरा पन्ना: पंकज मल्लिक अनमोल तथ्यYunus Khanhttp://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-3623350360770682881.post-30502527107750370842012-04-09T19:09:19.835+05:302012-04-09T19:09:19.835+05:30युनुस जी , रेडियोवाणी की सालगिरह पर बधाई ... शुभका...युनुस जी , रेडियोवाणी की सालगिरह पर बधाई ... शुभकामना... ! <br />पंकज मलिक जी का 'तेरे मंदिर का हूँ दीपक... ' बचपन से सुनता आया हूँ , कई वर्षों बाद आपने यादें ताजा कर दीं.. बहुत बहुत धन्यवाद ..!<br />बस एक बात खल रही है कि गाने के बोल ठीक से टाईप नहीं किए गए हैं. दरअसल 'विविध भारती' / आपको फालो करने वाले धर्मान्धता की हद तक आप को चाहते हैं, इसलिए आपसे उम्मीदें कुछ ज्यादा ही हैं.<br />गाने के बोल ये होने चाहिए..."आग जीवन में मैं भर कर चल (जल#) रहा" , ज्यों (जो#) बिना पानी बताशा गल (डल#) रहा..", "....कदंब की छाँव (छाँह) रे ". <br />इसको पक्का करने के लिए आप इसी गीत को लता मंगेशकर की आवाज में यू ट्यूब पर सुन सकते हैं या आपके स्टूडियो में ग्रामोफोन रिकॉर्डिंग तो होगी ही. <br />उदयसिंह टुंडेले, इंदौर ०९/०४/१२Uday Singh Tundelehttps://www.blogger.com/profile/08556863281922075190noreply@blogger.com